Add to Wish List

Kuwari Kanya Bhoj

₹501.00
In stock
SKU
KKB00001

कुंवारी कन्या भोज

कुंवारी कन्याओं के लिए भोज हमारे हिंदू धर्म के अनुसार चारों नवरात्रि में किया जाता है। और माँ जगदम्बा के नौ स्वरूपों को बाल कन्याओं के रुप में देखा जाता है। तथा श्रद्धा से पूजन कर उन्हें प्रसाद रूप में भोजन कराया जाता है ।

प्रत्येक वर्ष में चैत्र और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि का पावन पर्व हमारे हिंदू संस्कृति के लोग देश भर में बड़ी ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया करते हैं । तथा इनके जैसे ही विशेष फल देने वाली दो नवरात्रि और भी होती है। जो गुप्त रूप से होती है अतः इन्ही कारणों से गुप्त नवरात्रि कहते है । वह आषाढ़ शुक्ल और माघ शुक्ल पक्ष में होती है यह नवरात्रि गुप्त साधनाओं  के लिए लोग करते है यह नवरात्रि अभीष्ट सिद्धि प्रदान करने वाली होती है |

प्रत्येक गृहस्थ नवरात्रि को विधिपूर्वक मनाते हैं। नवरात्र में भारतीय गृहस्थों के लिए शक्ति पूजन,शक्ति वर्धन होता है

नवरात्रि के दिनों में विशेषकर अष्टमी-नवमी के दिन सनातन धर्म में छोटी-छोटी कन्याओं का प्राय: सभी जगह पूजन कर भोजन कराते हैं । उन कन्याओं  को  विशिष्ट आसन पर बैठाकर गंध,अक्षत आदि उपचारों से इष्ट देव की भांति मंत्र उच्चारण केसाथ बड़े भक्ति-भाव से पूजन करते हैं ।

तात्विक दृष्टि से देखा जाए तो समस्त  पुरुष || पुराण ||  के प्रतिनिधि  है | ठीक उसी प्रकार समस्त नारी भी ।। महामाया ।। की प्रतिकृति है। जिन कन्या को अपने अंगों की ढापने  का बोध ना हो ऐसी कन्याए निर्विकार होने के कारण बाल दुर्गा रूप में पूजने योग्य है ।

कुंवारी कन्याओं का पूजन निम्न लाभ हेतु किया जाता है-

  •  ज्ञान प्राप्ति के लिए ब्राह्मण की कन्या हो,
  •  भाई प्राप्ति हेतु क्षत्रिय की  कन्या हो
  • धन प्राप्ति के लिए वैश्य की कन्या  हो
  • शत्रु-विजय ,मारण ,मोहन  उच्चाटन आदि  अभिचार  प्रधान कार्यों की सिद्धि के लिए चांडाल कन्या का पूजन करना चाहिए ।

कुंवारी कन्याओं का पूजन कर भोजन कराने से एक सबसे बड़ा महत्वपूर्ण लाभ यह होता है। कि अभीष्ट सिद्धियों की प्राप्ति होती है और सदैव माता का साथ बना रहता है. नवरात्रि के सप्तमी अष्टमी नवमी के दिन इन कन्याओं को देवियों की रूप समझकर इनका पूजन व भोजन कराया जाता है। वैसे नारी की पूजा तो सदैव करनी चाहिए शास्त्रों में लिखा है "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" परन्तु नवरात्री में बाल स्वरुप माता की ही पूजा की जाती है इनकी आयु 10 वर्ष के अंदर तक होती है । प्रथम , रजस्वला होने से पूर्व तक इन्हें पूजा जाता है। इन्हें घरो में आदर सहित पैर धुलाकर आसन पर बैठाकर विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं । इन्हें नाना प्रकार के उपहार दिए जाते हैं । इनकी  प्रसन्नता से घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है ऐसा माना जाता है इसलिए हमारी संस्कृति में कुंवारी कन्या पूजन व भोज का बड़ा ही महत्व है।

More Information
Language Preference :   Hindi
Country of Manufacture :   India
Sold By :   Boon And Blessings Pvt Ltd
Brand :   Online Path Puja
Write Your Own Review
Only registered users can write reviews. Please Sign in or create an account
Only registered users can Ask Question. Please Sign in or create an account


© 2020 Online Path Puja. All rights reserved.