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Baglamukhi Mata Puja

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Why To Prefer OnlinePathPuja.Com for Yagya Puja Execution ?

Vedic Yagya - Pujan Process

We follow only Vedic Ritual Process for all Yagya-Puja.

Our Moral Principles

The Purohits, performing Yagya/Puja/Jaap will be adhering to a strict food diet comprising only fruits and food eligible to be consumed during fasting. They will be eating grains or Anna Grahan would be initiated only once all the rituals are completed for the day. This ensures the Shuddh and Satvik puja process and maximum blessings of rituals.

Puja at Varanasi

According to Hindu scriptures if Jaap or Pooja is performed in the spiritual capital Kashi or Varanasi, the blessing is multiplied by over 1000 times. At online Path Puja, we perform these Jaap and Poojas in Varanasi exclusively to increase your divine blessings by over thousand times.

Kashi Purohits

We execute Jaaps and Poojas based on Kashi Purohits who follow the Vedas and are the oldest existing civilization in the world.

Prathinidhi Priest

We offer you the option to book a Pratinidhi or Representative in form of Priest/Pandit who performs all rituals on your behalf as a worshiper. This ensures you to make a symbolic presence at the same time also participating in the Yagna, Puja or Rituals.

Live Puja

Live Puja is one of the unique products of Online Path Puja. When you opt for the live telecast of your booked package, you delegate your rituals to a Vedic Pandit or Priest who performs it with devotion & purity but at the same time you have an option to witness Your Hawan-Pujan and participate as per your convenience.

For Clients

Jaap or Puja requires full devotion and some prohibitions. Therefore, we would request you to avoid non-vegetarian food, alcohol and other prohibited things during the tenure of Jaap or Puja. It will ensure maximum blessings and benefits.

Suggestions

No one is perfect and there is always scope to learn. At Online Path Puja it’s our mission to give you a perfect experience. However, in case you have suggestions on how and where we can improve our services please feel free to write. Our email is info@onlinepathpuja.com

Baglamukhi Mata Puja :

DEITY (आराध्य) : Baglamukhi Mata 

BAGKLAMUKHI PUJA PURPOSE :

Enemy defeat(शत्रु पराजय ), To Remove negative energy(नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए)

Rid of ghosts, (भूतों से छुटकारा)Establishment of religion(धर्म की स्थापना )

Family prosperity(पारिवारिक समृधि )

AUSPICIOUS TIME FOR BAGLAMUKHI PUJA :

Auspicious time According to Panchang ,Navratri ( All four)

PUJA PLACE :

Below are more auspicious places for performing Baglamukhi Puja in Kashi & Your Puja - Japa will be performed in Vedic way at either of these places.

Bagla Mukhi Mata Temple / Vishalakshi Temple Kashi / Durga Kund / Sankata Mata Temple Kedar Khand / Kashi.

बगलामुखी माता पूजा -

माता बगलामुखी माता दुर्गा की ही रुप मानी जाती है, जिन्हें महाविद्या के नाम से भी जानते है| माता बगलामुखी की उत्पत्ति हल्दी के द्वारा हुई है और हल्दी का रंग पीला है, इसलिए उन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है| उनकी कई अभिव्यक्तियाँ हैं और रात्रि के समय उनकी पूजा करने से विशेष फल मिलता है| बगलामुखी देवी दस महाविद्याओं में से आठवीं हैं| बगलामुखी मंत्र चारों दिशाओं से संरक्षण, समृद्धि स्थिरता और अनेक लाभ प्रदान करता है और बीमारियों, पुरानी समस्याओं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता है| माना जाता है कि बगलामुखी मंत्र का नियमित जप उस व्यक्ति के अहंकार और कार्यों को पंगु बना देता है जो हमें क्षती पहुंचाने की कोशिश करता है|

बगलामुखी हिंदू धर्म में दस तांत्रिक देवियों के समूह महाविद्या में से एक है| देवी बगलामुखी अपने भक्त की भ्रांतियों और भ्रमों को समाप्त करती है| देवी के 108 अलग-अलग नाम हैं (कुछ अन्य लोग उन्हें 1008 नामों से भी पुकारते हैं)| बगलामुखी देवी के दस रूपों में से एक है, जो शक्तिशाली प्रधान शक्तियों की प्रतीक है| वह शक्ति के एक स्तंभ से कम नहीं है जो भक्तों के भय को समाप्त करता है और अपनी ताकत से सभी दुश्मनों और बुरी शक्तियों को नष्ट कर देता है| माता को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की सामग्री अर्पित करना चाहिए है, क्योंकि उनके सुनहरे पीले रंग की उपस्थिति के कारण, यह सलाह दी जाती है कि पूजा करने वाले को पीले वस्त्र ही पहनने चाहिए|

यह माना जाता है कि ब्रह्मांड की पूरी शक्ति एक इकाई में रहती है और वह इकाई माता बगलामुखी है| यह शक्ति माँ के रूप में विजय प्राप्त करती है, अधर्म पर धर्म की विजय, उनकी पूजा करने से भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है|

बागलामुखी या बगलादेवी को समर्पित भारत के अनेकों स्थानों में पाया जाता है| मां बगुलामुखी दुष्टों का संहार करती हैं| अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं| इनकी साधना अथवा प्रार्थना में श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी माता की शुभ दृष्टि आप पर होगी| इनकी आराधना करके आप जीवन में एक अच्छे सफल प्रसिद्ध व्यक्ति बन सकते है | सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं| इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्ट पहुंच सकता है| इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है|

मंत्र साधना के नियम-

सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभदिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नए ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत ह्रदय, स्वच्छ  भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं|

पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य इत्यादि बिछाकर उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करें

माता बगलामुखी की आराधना के लिए जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तराभिमुख) तो दो बातों का विशेष ध्यान रखें, प्रथम तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए|

गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें- अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:| उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:| अन्त में ॐ हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिए|

इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें|

शिखा बांधे और तिलक लगाएं| अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें|

विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें|

जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करते हैं, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंचती है|| इसलिए मंत्र शुद्ध पढ़ना चाहिए|

मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलता, बल्कि क्षति ही होगा  इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें|

अब आप गणेश जी के पूजन के पश्चात अन्य सभी देवी-देवता, वास्तु, नवग्रह और इष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-

ॐ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल पात्र में गिरा दें).

अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए|

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें| उसके बाद यह मंत्र जाप करें|

पूजा में निम्न ध्यान अवश्य रखें -

ब्रह्मचर्य के साथ, शुद्ध और स्वच्छ आसन, श्री गणेश पूजन और घी का दीपक,ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जप करना चाहिए ||

तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री की प्राप्ति होती है और दरिद्रता दूर भागती है|

गुगुल और तिल इत्यादी से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है|

अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए|

बगलामुखी मन्त्र के मुख्य लाभ-

बगलामुखी मन्त्र के उच्चारण से चमत्कारी शक्तियां प्राप्त होती हैं| बगलामुखी मंत्र शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है|

बगलामुखी मंत्र विशेष रूप से प्रशासन और प्रबंधन संवर्ग के लोगों, राजनेताओं, ऋण या इत्यादि की समस्याओं का सामना करने वाले लोगों आदि के लिए सुझाया जाता है|

बगलामुखी मंत्र का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जो व्यवसाय, वित्तीय समस्याओं, झूठे अदालती मामलों, झूठे आरोपों, ऋण में हानि का सामना कर रहा है| 

नानाप्रकार की बाधाएँ,  प्रतियोगी परीक्षाओं, वाद-विवाद आदि के लिए  बगलामुखी मंत्र प्रभावी होता है|

बगलामुखी मंत्र बुरी आत्माओं और बुरी नज़र को दूर करने में भी मदद करता है|

यह आपको अपने दुश्मनों के बुरे इरादों से सुरक्षा प्रदान करता है|

यह आपको अधिक सफल बनने में मदद करता है

यह आपकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करता है|

यह आपके आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है|

यह पारिवारिक जीवन को अधिक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण बनाता है|

यह अन्य लोगों द्वारा आपके ऊपर लगाए गए किसी भी अभिशाप को दूर कर सकता है|

बगलामुखी यंत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी -

बगलामुखी यंत्र की प्रतिदिन अगरबत्ती और दीपक से पूजा की जानी चाहिए|

यंत्र की पूजा करने से पहले उसे गंगाजल से पवित्र करना होता है

बागलामुखी के अच्छे प्रभाव 30-45 दिनों के भीतर महसूस होंगे और आप अपने जीवन में महत्वपूर्ण सुधार देखेंगे|

इस यंत्र की पूजा के दौरान पीले कपड़े पहनना विशेष रूप से शुभ माना जाता है|

इस यंत्र की पूजा के दौरान बगलामुखी साधना मंत्र का जाप करना चाहिए|

बगलामुखी मंत्र-

"ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुध्दिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा "

स्तोत्र और मंत्र में क्या अंतर होता है : स्तोत्र और मंत्र देवताओं को प्रसन्न करने का शक्तिशाली माध्यम हैं|

किसी भी देवता की पूजा करने से पहले उससे सबंधित मन्त्रों को गुरु की सहायता से सिद्ध किया जाना चाहिए अर्थात् गुरुमुख होना चाहिए |

 मन्त्र और स्तोत्र में क्या अंतर होता है-

 स्तोत्र : “स्तोत्रं कस्य न तुष्टये” महाकवि कालिदास जी का वचन है कि स्तुति किसे प्रिय नहीं है इसे कौन संतुष्ट नहीं हो सकता अतः स्तोत्र से सभी संतुष्ट होते है |  

स्तोत्र के माध्यम से किसी भी देवी या देवता का उनके गुणगान और महिमा का वर्णन किया जाता है, स्त्रोत का पाठ करने से अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है और दिव्य शब्दों के चयन से हम उस देवता को प्राप्त कर लेते हैं और इसे किसी भी राग में गाया जा सकता है स्त्रोत के शब्दों का चयन ही महत्वपूर्ण होता है और ये गीतात्मक होता है|

मन्त्र :-

वेदों के अनुसार -“मन्त्राः मननात्” अर्थात् जो मनन किया जाये वो मंत्र है |

सुसुप्त शक्तियों को जगाने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं

मन्त्र को केवल शब्दों का समूह समझना उनके प्रभाव को कम करके आंकना है यह निंदनीय है - मन्त्र तो शक्तिशाली लयबद्ध शब्दों की तरंगे हैं जो बहुत ही चमत्कारिक रूप से कार्य करती हैं ये तरंगे भटकते हुए मन को केंद्र बिंदु में रखती हैं शब्दों का संयोजन भी साधारण नहीं होता है, ऋषि मुनियों के द्वारा वर्षों की साधना के पश्चात् हमें इसका लाभ मिल रहा है| मन्त्रों के जप से आस पास का वातावरण शांत,निर्मल और भक्तिमय हो जाता है जो सकारात्मक ऊर्जा को एकत्रिक करके मन को शांत करता है मन के शांत होते ही आधी से ज्यादा समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाती है | प्रत्येक मंत्र किसी न किसी देवी और देवता केलिए विशेषकर होता है जिसे एक छंद में रखा जाता है| वैदिक ऋचाओं को भी मन्त्र ही कहा जाता है | इसे नित्य जप करने से वो चैतन्य हो जाता है | मंत्र का लगातार जप किया जाना चाहिए | मंत्र एक विशेष लय में होती है जिसे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है | जो हमारे मन में समाहित हो जाए वो मंत्र है | ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ ही ओंकार की उत्पत्ति हुयी इनकी महिमा का वर्णन भगवान शिव ने किया है और इनमे ही सारे नाद छुपे हुए हैं | मन्त्र अपने इष्ट को याद करना और उनके प्रति समर्पण दिखाना है | मंत्र और स्तोत्र में अंतर है की स्तोत्र को गाया जाता है जबकि मन्त्र को एक पूर्व निश्चित लय में जपा जाता है|

बीज मंत्र क्या होता है : देवी देवताओं के मूल मंत्र को बीज मन्त्र कहते हैं| सभी देवी देवताओं के बीज मन्त्र हैं| समस्त वैदिक मन्त्रों का सार बीज मन्त्रों को माना गया है| हिन्दू धर्म के अनुसार सबसे प्रधान बीज मन्त्र ॐ को माना गया है इसे प्रणव कहते है  ॐ को अन्य मन्त्रों के साथ प्रयोग किया जाता है क्यों की यह अन्य मन्त्रों को उत्प्रेरित कर देता है| बीज मंत्रो से भी देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर शीघ्र दया करते हैं| जीवन में कैसी भी परेशानी हो यथा आर्थिक, सामजिक या सेहत से जुडी कोई समस्या ही क्यों ना हो बीज मन्त्रों के जाप से सभी संकट दूर होते हैं|

स्तोत्र और मंत्र जप के लाभ : चाहे मन्त्र हो या फिर स्तोत्र इनके जप से देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है| शास्त्रों में मन्त्रों की महिमा का विस्तार से वर्णन है| सृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो मन्त्रों से प्राप्त ना किया जा सके, आवश्यक है साधक के द्वारा सही जप विधि और कल्याण की भावना| बीज मंत्रों के जप से भी विशेष फायदे होते हैं| यदि किसी मंत्र के बीज मंत्र का जाप किया जाय तो इसका प्रभाव और अत्यधिक बढ़ जाता है| वैज्ञानिक स्तर पर भी इसे परखा गया है| मंत्र जप से छुपी हुयी शक्तियों का संचार होता है| मस्तिष्क के विशेष भाग सक्रीय होते है| मन्त्र जाप इतना प्रभावशाली है कि इससे भाग्य की रेखाओं को भी बदला जा सकता है| यदि बीज मन्त्रों को समझ कर इनका जप निष्ठा से किया जाय तो असाध्य रोगो से छुटकारा मिलता है| मन्त्रों के सम्बन्ध में ज्ञानी लोगों की मान्यता है की यदि सही विधि से इनका जप किया जाय तो बिना किसी औषधि से असाध्य रोग भी दूर हो सकते हैं| विशेषज्ञ और गुरु की राय से राशि के अनुसार मन्त्रों के जप का लाभ और अधिक बढ़ जाता है|

विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए पृथक-पृथक से मन्त्र हैं जिनके जाप से निश्चित ही लाभ मिलता है| मंत्र दो अक्षरों से मिलकर बना है मन और त्र| तो इसका शाब्दिक अर्थ हुआ की मन से बुरे विचारों को निकाल कर शुभ विचारों को मन में भरना| जब मन में ईश्वर के सम्बंधित अच्छे विचारों का उदय होता है तो रोग और नकारात्मकता सम्बन्धी विचार दूर होते चले जाते है| वेदों में प्रत्येक मन्त्र ही है| मन्त्र के जाप से एक तरंग का निर्माण होता है जो की सम्पूर्ण वायुमंडल में व्याप्त हो जाता है और छिपी हुयी शक्तियों को जाग्रत कर लाभ प्रदान करता है|

More Information
Language Preference :   Hindi, English, Tamil, Telugu, Kannada, Marathi, Gujarati, Bengali, Odia
Country of Manufacture :   India
Sold By :   Boon And Blessings Pvt Ltd
Brand :   Online Path Puja
Purpose :   Relief from Illness, Business Growth, Court Cases, Blessings, Relief From Black Magic , Siddhi, Establishment of religion, Increase of domination
Deity :   Baglamukhi Mata
Days :   Festival Puja
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